सोमवार

अंतर्ध्वनि



अंतर्ध्वनि मेरे अंतर्मन की वो ध्वनि है जो मुझे दिन-प्रतिदिन कुछ नया करने को प्रेरित करती है तथा मुझे अपने-आप से जोड़े रखती है ा मेरी अंतर्ध्वनि ही है जो मुझे हिन्दी साहित्य से जोड़े हुए है और नित्य कुछ न कुछ ऐसा मेरे अंतर्मन मे जागृत करती है कि जिस हिन्दी से आज का समाज कटता जा रहा है, मुझे उसी हिंदी से आत्मिक लगाव महसूस होता है ा मेरी अंतर्ध्वनि ने हिंदी भाषा व हिंदी साहित्य को मेरे जीवन का अभिन्न अंग बना दिया है

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