सोमवार

श्रद्धांजलि

सच्ची श्रद्धांजलि के लिए बातों की नही कर्मों की आवश्यकता है, तो क्यों न शहीदों को तन-मन ही नहीं धन से भी श्रद्धांजलि अर्पित करें.....

देकर अपने प्राणों की आहुति
हमको सुरक्षा दे जाते हैं,
रातों की नींद गँवाकर अपनी
हमें बेफिक्र सुलाते हैं
सर्दी-गर्मी सब झेलते हुए
जो सदा कर्तव्य निभाते हैं
हमारी सुरक्षा की खातिर जो
अपना परिवार असुरक्षित कर जाते हैं
ऐसे वीर सपूतों के लिए
क्यों न हम भी कुछ कर्तव्य निभाएँ
अपने खुशियों के समंदर से
कुछ घड़ों की खुशियाँ अर्पित कर आएँ
कह-कहकर तो हमने उन्हें
बहुत श्रद्धांजलि अर्पित किया
उन शहीदों के सम्मान हेतु
सच्ची श्रद्धांजलि हम अब चढ़ाएँ ।
मालती मिश्रा

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