गुरुवार

वो जिंदगी नही जो वक्त के साथ गुजर गई,
वो इश्के खुमारी नहीं जो गर्दिशों में उतर गई।
उजाले में तो साथ अजनबी भी चल देते हैं,
हमसफर नही अंधेरों में जिनकी राहें बदल गईं।
औरों के लिए जो इस जहाँ में जिया करते हैं,
न सिर्फ यही उसकी तो दोनों जहानें सँवर गईं।
माना कि राहे उल्फ़त में मुश्किलें हैं बेशुमार,
तासीरे वफा की शय में तो राहें भी मुड़ गईं।
मालती मिश्रा

0 Comments:

Thanks For Visit Here.