गुरुवार

सेना के सम्मान में आ जाओ मैदान में 'एक आह्वाहन'

"सेना के सम्मान में आ जाओ मैदान में"
(इंडिया गेट से लाला किले तक शान्ति मार्च )
15 अप्रेल 2017, इंडिया गेट अमर जवान ज्योति के पास शाम 4 बजे एकत्रित होंगे और 5 बजे शान्ति पूर्वक पैदल यात्रा करेंगे लाला किले तक. जिस मार्ग पर सेना 26 जनवरी को परेड करती हैं देशभक्तों को आना है .. इसी सन्दर्भ को सम्बोधित करती मेरी ये रचना ..
============================
लिखने से ना काम चलेगा, अब सडको आना होगा
मात भारती के गीतों को, घर घर जा कर गान होगा
सेना का अपमान देख कर, भी जो खून नहीं खौला
पानी है वो खूंन नहीं है, बर्फीला ठंडा गोला
घाटी में सेना पर उठ कर हाथ सलामत है कैसे?
गददारों की खेप कौम और जात सलामत है कैसे?
दिल्ली की गद्दी भी इस पर अब तक बोल नहीं पाई
और फ़ौज के बंधे हाथ भी अब तक खौल नहीं पाई
सैनिक चुप थप्पड़ खाता था इसका कारण कौन रहा
सत्ता के कारण ही सैनिक चांटा खा कर मौन रहा
सैनिक को आदेश जो होते कुर्सी ओहदेदारों के
पल में होश ठिकाने होते, घाटी में गद्दारों के
तोप तमंचे सब सेना के बना खिलोने छोड़ दिए
समझौतों के घातक निर्णय सेनाओं से जोड़ दिए
पत्थर जो सेना पर फेंके क्या बोलो गद्दार नहीं
लातों के भूतों का बातों से होता उद्धार नहीं
जरा बात पर कैंडल ले कर जो सड़को पर आते हैं
सेना की तौहीन पे देखो वो भी चुप रह जाते हैं
लेकिन असली खून रगों में हिन्दुस्तानी खोलेगा
घर में चुप न बैठेगा अब आ सड़कों पर बोलेगा
सैनिक घर में थप्पड़ खाये हम घूमे उद्द्यानों में
सेना के सम्मान में सबको आना है मैदानों में
शनिवार की शाम मिलेंगे हम सब इण्डिया गेट पर
लाल किले तक साथ चलेंगे हो न जाना लेट पर
सेना के अपमान पे चुप्पी ठीक नहीं है घातक है
जो सीमा पे खून बहाते वो भारत के जातक है
जात पात व धर्म से ऊपर सैनिक का बलिदान रहा
जब सेना ने करी हिफाजत तब ही हिन्दुस्तान रहा
जितने लेखक मित्र कवि जो आग उगलते रहते हैं
वो सब तो पक्का आना जो देश प्रेम ही कहते हैं
मुझे यकीन है देश प्रेम से भरे हुए सब आएँगे
और देश की बहरी कुर्सी को ताकत दिखलाएंगे
सेना का अपमान देश में सहा नहीं अब जाएगा
ऐसी तख्ती लिख कर बच्चा बच्चा उस दिन आएगा
जय जवान और जय किसान का नारा फिर दोहराना है
फिर कहता हूँ देश प्रेम से भर कर दिल्ली आना है
- योगेश समदर्शी
( हास्य एवं ओज कवि)
-9717044408

0 Comments:

Thanks For Visit Here.